क्या सहारा में अपका भी पैसा फंसा हैं?
Sahara India refund status Today: सहारा इंडिया (Sahara India) की स्कीम्स में पूरे देश में लोगों ने अरबों रुपये का निवेश किया था। लेकिन कई साल बीत जाने के बाद उन्हें मूलधन भी नहीं मिला है। ऐेसे में खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। सेबी का कहना है कि वह निवेशकों का पता नहीं लगा पा रहा है जबकि सहारा का कहना है कि उसके निवेशकों के 25,000 करोड़ रुपये सेबी के पास फंसे हैं।
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हाइलाइट्स
- सहारा इंडिया में लाखों लोगों ने किया है करोड़ों का निवेश
- कई साल बीत जाने के बाद उन्हें अपना पैसा नहीं मिला है
- सहारा का आरोप.. सेबी के पास फंसे है उसके 25,000 करोड़

Sahara India refund Status Today
सहारा इंडिया (Sahara India) में देशभर के लाखों निवेशकों के पैसे फंसे हैं। सहारा का कहना है कि वह निवेशकों का पैसा लौटाना चाहती है लेकिन मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) ने ये पैसे अपने पास रख लिए हैं। सहारा की योजनाओं में लाखों लोगों ने जमकर पैसा लगाया था लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी उन्हें अपनी रकम का इंतजार है। सरकार के मुताबिक सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SIRECL) ने 232.85 लाख निवेशकों से 19400.87 करोड़ रुपये और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 75.14 लाख निवेशकों से 6380.50 करोड़ रुपये एकत्रित किए थे। लेकिन सेबी सहारा के निवेशकों को ब्याज समेत कुल 138.07 करोड़ रुपये ही वापस कर पाया है। साफ है कि निवेशकों को अरबों रुपये अब भी फंसे हुए हैं।
सरकार की तरफ से संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक सेबी को 81.70 करोड़ रुपये की कुल मूल राशि के लिए 53,642 ओरिजिनल बॉन्ड सर्टिफिकेट/पास बुक से जुड़े 19,644 आवेदन मिले हैं। सेबी ने इनमें से 138.07 करोड़ रुपये की कुल राशि 48,326 ओरिजिनल बॉन्ड सर्टिफिकेट/पासबुक वाले 17,526 एलिजिबल बॉन्डहोल्डर्स को रिफंड किया है। इसमें 70.09 करोड़ रुपये मूलधन और 67.98 करोड़ रुपये का ब्याज शामिल है। बाकी आवेदन बंद कर दिए गए हैं। इसकी वजह यह है कि SIRECL और SHICL की तरह से जो दस्तावेज दिए गए थे, उनमें उनका रेकॉर्ड नहीं मिल पाया। साथ ही कई बॉन्डहोल्डर्स ने सेबी के सवालों का जवाब नहीं दिया, इसलिए उनके आवेदन को बंद कर दिया गया।
क्या है मामला
सुप्रीम कोर्ट के 2012 के आदेश के मुताबिक सहारा इंडिया ने निवेशकों से जमा की गई 25,781.37 करोड़ की मूल राशि के बदले 31 दिसंबर, 2021 तक ‘सेबी-सहारा रिफंड’ खाते में 15,503.69 करोड़ रुपये जमा किए थे। दरअसल, 25 दिसंबर 2009 और 4 जनवरी 2010 को सेबी को दो शिकायतें मिलीं। इनमें कहा गया कि सहारा की कंपनियां वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (OFCDs) जारी कर रही है और गलत तरीके से धन जुटा रही है। इन शिकायतों से सेबी की शंका सही साबित हुई। इसके बाद सेबी ने इन दोनों कंपनियों की जांच शुरू कर दी।
सेबी ने पाया कि SIRECL और SHICL ने ओएफसीडी के जरिए दो से ढ़ाई करोड़ निवेशकों से करीब 24,000 करोड़ रुपये
जुटाए हैं। सेबी ने सहारा की इन दोनों कंपनियों को पैसा जुटाना बंद करने का आदेश दिया और कहा कि वह निवेशकों को 15 फीसदी ब्याज के साथ उनका पैसा लौटाए। समय के साथ, सुप्रीम कोर्ट और सेबी दोनों ही इस मामले को मनी लॉन्ड्रिंग की तरह लेने लगे। उन्होंने सहारा इंडिया के बैंक अकाउंट और संपत्ति को फ्रीज करना शुरू कर दिया।
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26 जनवरी, 2014 को सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गिरफ्तार हुए। नवंबर 2017 में ईडी ने सहारा ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चार्ज किया।
इस तरह सहारा ग्रुप पूरी तरह कानून के शिकंजे में आ गया। सेबी निवेशकों का पता नहीं लगा सका और जब सहारा समूह की कंपनियां भुगतान करने में विफल रहीं, तो अदालत ने राय को जेल भेज दिया। वह लगभग दो साल से अधिक का समय जेल में काट चुके हैं। छह मई 2017 से वह पेरोल पर हैं। पहली बार उन्हें परोल मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के नाम पर मिला था, जिसे बाद में तब बढ़ा दिया गया था।
सहारा ने सेबी पर उसके निवेशकों के 25,000 करोड़ रुपये रखने का आरोप लगाया है। अप्रैल 2018 में सेबी ने कहा था कि जुलाई 2018 के बाद किसी दावे पर विचार नहीं करेगा। सेबी (SEBI) ने हाल में सहारा ग्रुप की दो कंपनियों, सुब्रत रॉय और तीन अन्य लोगों पर 12 करोड़ रुपये का भारी भरकम जुर्माना लगाया था। इस मामले में सेबी अब तक 22 स्टेटस रिपोर्ट दायर कर चुका है। पिछले साल अक्टूबर में उसने सुप्रीम कोर्ट में इंटरलॉक्युटरी एप्लिकेशन दायर करके अदालत से डायरेक्शन मांगा था। यानी निवेशकों को अपना पैसा पाने के लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।